ज़ुबानें

ज़ुबानें हैं, यूँ ही चलती हैं,
चलती ही जाती हैं,
बेखटके, बेधड़क, बेरोकटोक।
लम्बी, टेढ़ी, कड़वी, तीखी, मीठी,
क़िस्म क़िस्म की ज़ुबानें,
कुछ सुनी कुछ अनसुनी,
कुछ आँखों की,
ज़ुबानें।
मगर
ये कोई बहती धार नहीं
कि मैली ना हों।
कीचड़ से लथपथ,
ज़हर में डूबी,
पर मीठी चाशनी से लिपटी,
मानो कोई तेज़ धारदार छुरी,
पीठ पीछे ही नहीं
वार करती हैं
सामने से बिंदास।
ज़ुबानें,
अनदेखा अनसुना करने की कुव्वत
हर किसी शख़्स में नहीं।
#MotorMouths
#AcerbicTongues

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