एक और छोटी सी प्रेम कथा 

हाँ हाँ मुझे याद है मैंने वादा किया था. मुझे पता है ये ग़लत है.
मैं जानता हूं ऐसा करना सख़्त मना है पर क्या करूँ कंट्रोल नहीं होता!
नहीं, अब और नहीं, पहले ही बहुत ज्यादा हो चुका है, अब कल के लिए भी कुछ छोड़ दे बेवक़ूफ़.
सिर्फ़ एक, खा लेता हूँ सिर्फ एक काजू कतली और! क्योंकि ये दिल है कि मानता नहीं!

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